Table of Contents
सनातन धर्म में तिलक का क्या महत्व है?
तिलक सनातनीय संस्कृति का सम्बलन व शक्तिपुँज है। यह कोई कपोल कल्पित ढकोसला या नासमझ-नादानी नहीं शतप्रतिशत विशुद्ध वैज्ञानिक सोच है। तिलक लगाना सनातन संस्कृति और हिंदू परम्परा का एक विशेष कार्य है। बिना तिलक लगाए पूजा संपन्न नहीं होती है किसी भी धार्मिक कार्य की शुरुआत करने से पहेले ललाट पर तिलक अवस्य लगाया जाता है। तिलक लगाना हमारे शास्त्र में बहोत शुभ माना गया है, तिलक देवताओं का आशीर्वाद का प्रतीक होता है।
- Table of Contents
- तिलक कब कब लगाया जाता है।
- तिलक कितने प्रकार के होते हैं?
- तिलक कोन-कोन सी चीजों से लगाया जाता है?
- तिलक लगाने के लिए कोनसी उंगलियों का क्या है विशेष महत्व?
- तिलक लगाने के मंत्र Tlika Mantra
- स्वयं को तिलक लगाने का मंत्र
- माताओं को तिलक लगाने का मंत्र Tilak Mantra For Female
- पुरुषों को तिलक लगाने का मंत्र Tilka Mantra For Male
- स्त्रियों को तिलक लगाने का मंत्र
- बालक को तिलक लगाने का मंत्र Tilka Mantra For Baby
- भाईदूज पर भाई को तिलक लगाने का मंत्र Tilak Mantra For Brother
- ब्राह्मणों को तिलक लगाने का मंत्र Bramhan Tilka Mantra
- अतिथि को तिलक लगाने का मंत्र Guest Tilka Mantra
- पितरों को तिलक लगाने के मंत्र Pitru Tilak Mantra
- तिलक का पर्यायवाची शब्द क्या है?
- तिलक कितने प्रकार के होते हैं?
- तिलक लगाने का मंत्र !!
तिलक किसी वर्ग विशेष का नहीं बल्कि ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शुद्र समस्त समुदायों की अतुल्य सम्पदा है। शैव, शाक्त, वैष्णव, गाणपत्य, श्यामश्री, रामानुज, रामानंदी, विष्णुस्वामी, ताण्त्रिक, कापालिक जितने आराध्यदेव और गुरुपंथ उतने प्रकार के तिलक। इतना ही नहीं राजतिलक, विजयतिलक, सम्मानतिलक, स्वागततिलक जितने अवसर और उपलब्धियाँ उतने प्रकार के तिलक केवल सनातनीय संस्कृति की ही विशिष्ट सोच व सम्पदा है। किसी भी धार्मिक, माँगलिक या लक्ष्यसाधक कार्यायोजन के तिलक के बिना प्रारम्भ की कोई सनातनीय परम्परा ही नहीं है। शेष विश्व में ऐसी अनुठी परम्पराओं का नितान्त अभाव है। भारतीय परम्परायें पूर्णतः वैज्ञानिक है।
तिलक कब कब लगाया जाता है।
- किसी आदरणीय का अभिनन्दन करते समय,
- आराध्य का अनुग्रहण प्राप्त करने हुवे,
- आत्मीय का उत्साहवर्धन करने के लिए,
- माँगलिक या धार्मिक आयोजन के आरम्भ व समाप्ति या लक्ष्यसिद्धि साधक का सम्मान तिलक और माला से करने की भारतीय परम्परायें जगजाहिर है।
तिलक कितने प्रकार के होते हैं?
सनातन हिंदू धर्म में तिलक लगाने के कई प्रकार बताए गए है। तिलक के प्रकार पंथ और संप्रदाय के साथ भिन्न भिन्न हो जाते है। सनातन धर्म में मुख्य रूप से शैव, शाक्त, वैष्णव और कई अन्य प्रमुख संप्रदाय हैं, जो की अलग अलग तिलक लगाते हैं।
वैष्णवी-तिलक उर्ध्वपुण्ड्र अर्थात खङी रेखाओं वाला और शैवतिलक त्रिपुण्ड अर्थात पङी लकीरों वाला होता है। ब्राह्मणों में उर्ध्वपुण्ड्र तिलक, क्षत्रीयों में त्रिपुण्ड तिलक, वैश्यों में अर्द्धचन्द्र तिलक तथा क्षुद्रों में वृत्ताकार तिलक की प्रथायें प्रचलित रही है। जितने पंथ उतने प्रकार के तिलकों की प्रथाओं का प्रचलन रहा है।
- वैष्णवी-तिलक ही चौसठ(६४) प्रकार के होते हैं। इतना ही नहीं तिलक की सामग्री भी अलग-अलग प्रकार की होती है। कुमकुम, चन्दन, रोली, सिन्दूर, हल्दी, केसर, गुलाल, भस्म, विभूति, मिट्टी इत्यादि अलग-थलग उद्देश्य के लिये अलग-थलग सामग्री का उपयोग किया जाता है। चन्दन भी अनेक प्रकार का होता है यथा लाल या सफेद चन्दन, गोरोचन, हरिचन्दन, गोपीचन्दन, गोमतीचन्दन, गोकुलचन्दन इत्यादि।
तिलक कोन-कोन सी चीजों से लगाया जाता है?
- तिलक की खिल्ली उङाने वाले नासमझ नादानों को यह समझना ही चाहिए कि हमारे ॠषियों ने तो अलग-अलग दिन व वार से सम्बन्धित अधिष्ठाता देव का अनुग्रह अर्जित करने व ग्रहों के विकिरणीय प्रभाव को सकारात्मक बनाने के लिये अलग-अलग सामग्री के तिलकों का प्रावधान किया है।
- सोमवार के अधिष्ठाता देव शिव एवं नक्षत्र चन्द्रमा को साधने के लिये सफेद चन्दन, भस्म व विभूति के तिलक का प्रावधान है।
- मंगलवार को देव हनुमान व मंगलग्रह को साधने हेतु लालचंदन या चमेलीतेल मिश्रित सिन्दूर के तिलक का प्रावधान है।
- बुधवार को देव गणेश, दुर्गा व बुद्धग्रह की संतृप्ति के लिये सुखे सिन्दूरी तिलक का प्रावधान है।
- गुरुवार को देव ब्रह्मा व वृहस्पतिग्रह को साधने के लिये हल्दी या सफेद चन्दन में केसर मिश्रित तिलक का प्रावधान है।
- शुक्रवार को माँलक्ष्मी व शुक्र ग्रह के विकरणीय प्रभाव को साधने के लाल चन्दन या सुखे सिन्दूर का तिलक श्रेष्ठ माना है।
- शनिवार को देव भैरव, यमराज व शनि की सन्तुष्टि के लिये तिल का तेल मिश्रित सिन्दूर, भस्म या विभूति के तिलक का प्रावधान है।
- रविवार को देव विष्णु व सूर्य को संतृप्त करने के लिए हरि चन्दन के तिलक का प्रावधान है।
- तिलकीय प्रावधानों व प्रभावों के शौध एवं अनुसंधान की आवश्यकता तो सदा रहेगी परन्तु उपेक्षा, अनदेखी या मखौल उङाना तो निश्चय ही हमारी नासमझी ही है।
तिलक लगाने के लिए कोनसी उंगलियों का क्या है विशेष महत्व?
शास्त्रों मे तिलक लगाने के लिए भी कुछ नियमों का वर्णन दर्गशाया गया है। जिनका अपना-अपना महत्व है। इस में से प्रत्येक उंगली से तिलक लगाना भी शामिल है।
- जो व्यक्ति मोक्ष की इच्छा रखते हैं उन्हें अंगूठे से तिलक लगाना चाहिए।
- धन प्राप्ति हेतु की इच्छा रखने वाले लोग *मध्यमा उंगली* से तिलक लगाएं।
- सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए *अनामिका उंगली* का प्रयोग करना चाहिए।
- देवताओं को मध्यमा उंगली से तिलक लगाना चाहिए।
- शत्रु के नाश के लिए या उन पर विजय प्राप्त करने के लिए तर्जनी उंगली से ललाट पर तिलक लगाना चाहिए। *मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है और जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।*

तिलक लगाने के मंत्र Tlika Mantra
स्वयं को तिलक लगाने का मंत्र
ॐ चन्दनस्य महत्पुण्यं पवित्रं पापनाशनम् ।
आपदं हरते नित्यं लक्ष्मीस्तिष्ठति सर्वदा ।।
माताओं को तिलक लगाने का मंत्र Tilak Mantra For Female
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥
ॐ देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि मे परमं सुखम् ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि ॥
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते ॥
पुरुषों को तिलक लगाने का मंत्र Tilka Mantra For Male
ॐ भद्रमस्तु शिवं चास्तु महालक्ष्मीः प्रसीदतु ।
रक्षन्तु त्वां सदा देवाः सम्पदः सन्तु सर्वदा ॥
सपत्ना दुर्ग्रहाः पापा दुष्ट सत्वाद्युपद्रवाः ।
तमाल पत्र मालोक्यः निष्प्रभावा भवन्तु ते ॥
स्त्रियों को तिलक लगाने का मंत्र
श्रीश्चते लक्ष्मीश्च पत्न्या व्वहो रात्रे पाश्र्वे नक्षत्राणि रूपमश्विनौ व्यात्तम् ।
इष्णन्निषाण मुम्म इषाण सर्व लोकम्मयिषाण ॥
बालक को तिलक लगाने का मंत्र Tilka Mantra For Baby
ॐ यावत् गंगा कुरूक्षेत्रे यावत् तिष्ठति मेदनी ।
यावत् रामकथा लोके तावत् जीवतु बालकः ॥
भाईदूज पर भाई को तिलक लगाने का मंत्र Tilak Mantra For Brother
गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को ।
सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़े फूले फलें ॥
ब्राह्मणों को तिलक लगाने का मंत्र Bramhan Tilka Mantra
ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।स्वस्ति नो ब्रिहस्पतिर्दधातु ॥
नमो ब्रह्मण्य देवाय गोब्राह्मण हिताय च ।
जगत् हिताय कृष्णाय गोविन्दाय नमो नमः ॥
अतिथि को तिलक लगाने का मंत्र Guest Tilka Mantra
ॐ भद्रमस्तु शिवं चास्तु महालक्ष्मीः प्रसीदतु ।
रक्षन्तु त्वां सदा देवाः सम्पदः सन्तु सर्वदा ॥
पितरों को तिलक लगाने के मंत्र Pitru Tilak Mantra
ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात् ।
तिलक का पर्यायवाची शब्द क्या है?
तिलक शब्द का पर्यायवाची शब्द टीका, तिलक, चिह्न, निशान, प्रभावशालीव्यक्ति है
तिलक कितने प्रकार के होते हैं?
मुख्यतः वैष्णव, शैव और ब्रह्म तिलक होते है
तिलक लगाने का मंत्र !!

केशवानन्न्त गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम ।
पुण्यं यशस्यमायुष्यं तिलकं मे प्रसीदतु ।।
कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम् ।
ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम् ।।