मोहन राखु पद रजतरै लीरिक्स
Mohan Rakhu Pad Rajatarai Lyrics
मोहन राखु पद-रजतरै ।
सुर-सुरेंद्र-विधि-पद नहिं चहिये, डारहु मुकुति परै ।
जग-सुखके सत्र साज संभारहु, इनतें दुख न टरै ॥
सुख-दुख लाभ-हानि जगकी सम, नैको मन न जरै ।
बिनु विराम छबिधाम निरखि तन-मन नित प्रेम गरै ॥