जय जगदीश हरे प्रभु जय जगदीश हरे – Jai Jagdish Hare Prabhu Jai Jagdish Hare Lyrics
जय जगदीश हरे, प्रभु ! जय जगदीश हरे ! मायातीत, महेश्वर, मन-वच-बुद्धि परे ॥ टेक ॥
आदि, अनादि, अगोचर, अविचल, अबिनाशी।
अतुल, अनंत, अनामय, अमित शक्ति-राशी ॥१॥ जय०
अमल, अकल, अज, अक्षय, अव्यय, अविकारी ।
सत-चित-सुखमय, सुंदर, शिव, सत्ताधारी ॥२॥ जय०
विधि, हरि, शंकर, गणपति, सूर्य, शक्तिरूपा ।
विश्व-चराचर तुमहीं, तुमहीं जग-भूपा ॥३॥ जय०
माता-पिता-पितामह-स्वामि-सुहृद-भर्ता ।
विश्वोत्पादक-पालक-रक्षक-संहर्ता ॥४॥ जय०
साक्षी, शरण, सखा, प्रिय, प्रियतम, पूर्ण, प्रभो ।
केवल, काल, कलानिधि, कालातीत, विभो ॥५॥ जय०
राम-कृष्ण, करुणामय, प्रेमामृत-सागर ।
मनमोहन, मुरलीधर, नित-नव, नटनागर ॥६॥ जय०
सब विधि हीन, मलिनमति, इम अति पातकिजन ।
प्रभु-पद-विमुख अभागी, कलि-कषित तन-मन ॥७॥
जय० आश्रय-दान दयार्णव ! हम सबको दीजे ।
पाप-ताप हर हरि ! सब, निज-जन कर लीजे ||८|| जय०