दुर्जन संग कबहुँ नहिं कीजै लीरिक्स
Durjan Sang Kabahun Nahin Kijai Lyrics
दुर्जन-संग कबहुँ नहिं कीजै । दुर्जन-मिलन सदा दुखदाई, तिनसौं पृथक रहीजै ॥
दुर्जनकी मीठी बानी सुनि, तनिक प्रतीति न कीजै । छाड़िय बिष सम ताहि निरंतर, मनहिं थान र्जान दीनै ॥
दुर्जन संग कुमति अति उपजै, हरि-मारग मति छीजै । छूटै प्रेम-भजन श्रीहरिको, मन बिषयनमैं भीजै ॥
बिनसै सकल सांति-सुख मनके, सिर धुनि-धुनि कर मींजै । मन अस दुर्जन दुखनिधि परिहरि, सत-संगति-रति कीजै ॥