बिदुर घर स्याम पाहुने आये लीरिक्स
Bidur Ghar Syaam Paahune Aaye Lyrics
बिदुर घर स्याम पाहुने आये ।
नख-सिख दचिररूप मनमोहन, कोटि मदन छबि छाये ॥
बिदुर न हुते घरहिमें तेहि छिन, स्याम पुकारन लागे ।
बिदुर-घरनि नहाति उठि घाई, नैन प्रेमरस पागे ॥
भूली बसन न्हात रहि जेहि थल, तनु सुधि सकल भुलाई ।
बोलति अटपट बचन प्रेमबस, कदरी-फल ले आई ॥
छीलत डारत गूदौ इत-उत, छिलका स्याम खवावै ।
बारहिं बार स्वाद कहि-कहि हरि, प्रमुदित भोग लगावै ॥
तनिक बेर महँ हरि-गुन गावत, बिदुर घरहिं जब आये ।
देखि दरस सो कहत, ‘अहह ! तै छिलका स्याम खवाये ॥
करतें केरा झटकि बिदुर घरनी घरमाहिं पठाई ।
तनु सुधि पाइ सलाज ससंकित, बसन पहिरि चलि आई ॥
बिदुर प्रेमजुत छीलि छीलिकै, केरा हरिहिं खवावै ।
कहत स्याम वह सरस मनोहर स्वाद न इनमइँ आवै ॥
भूखो सदा प्रेमको डोलू भगत जनन गृह जाऊँ।
पाइ प्रेमजुत अमिय पदारथ, खात न कबहुँ अधाऊँ ।।