Kamakshi Stotram In Hindi
कामाक्षी स्तोत्रम्(Kamakshi Stotram) एक अत्यंत प्रभावशाली और प्रसिद्ध स्तोत्र है जो देवी कामाक्षी को समर्पित है। देवी कामाक्षी को शक्ति और प्रेम की देवी माना जाता है, जो कि माँ पार्वती का ही एक रूप हैं। यह स्तोत्र मुख्य रूप से कामाक्षी देवी के गुणों, महिमा, और उनकी कृपा का वर्णन करता है। देवी कामाक्षी का मुख्य मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है, जिसे “शक्ति पीठ” भी माना जाता है।
- Kamakshi Stotram In Hindi
- कामाक्षी देवी का स्वरूप
- कामाक्षी स्तोत्रम् का महत्त्व Importance of Kamakshi Stotram
- कामाक्षी स्तोत्रम् की रचना
- कामाक्षी स्तोत्रम् के पाठ के लाभ Benifits of Kamakshi Stotram
- कामाक्षी स्तोत्रम् Kamakshi Stotram
- कामाक्षी स्तोत्रम् का पाठ कैसे करें How to chant Kamakshi Stotram
- कामाक्षी स्तोत्रम् और कांचीपुरम मंदिर का संबंध
- कामाक्षी स्तोत्रम् का पाठ करने की विशेष तिथियाँ
- कामाक्षी स्तोत्रम् पर पूछे जानें वाले प्रश्न FAQs for Kamakshi Stotram
कामाक्षी देवी का स्वरूप
कामाक्षी देवी को शांति, शक्ति, और कृपा का प्रतीक माना जाता है। कामाक्षी का अर्थ होता है, “जिनकी आँखों में प्रेम और करुणा का वास है।” उनका स्वरूप अत्यंत मनोहर और दिव्य है। उन्हें चार भुजाओं से युक्त दर्शाया जाता है, जिसमें वे पाश, अंकुश, पुष्प और वरद मुद्रा धारण करती हैं।
कामाक्षी स्तोत्रम् का महत्त्व Importance of Kamakshi Stotram
कामाक्षी स्तोत्रम् का पाठ करने से साधक को मानसिक शांति, आध्यात्मिक शक्ति, और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। यह स्तोत्र भक्तों को भय, अशांति, और रोगों से मुक्त करता है। देवी की कृपा से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है।
कामाक्षी स्तोत्रम् की रचना
यह स्तोत्र आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। शंकराचार्य ने इस स्तोत्र में देवी कामाक्षी के विभिन्न नामों, गुणों और महिमाओं का वर्णन करते हुए उन्हें प्रणाम किया है। स्तोत्र में देवी के सौंदर्य, दया, और उनकी शक्ति की स्तुति की गई है।
कामाक्षी स्तोत्रम् के पाठ के लाभ Benifits of Kamakshi Stotram
- आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तोत्र साधक के मन को एकाग्र करता है और आत्मिक शांति प्रदान करता है।
- संकट निवारण: यह स्तोत्र जीवन में आने वाले संकटों और परेशानियों को दूर करने में सहायक है।
- स्वास्थ्य लाभ: देवी की कृपा से रोगों का निवारण होता है और शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।
- सुख-समृद्धि: देवी की आराधना से घर में सुख, समृद्धि, और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
- मोक्ष की प्राप्ति: यह स्तोत्र मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है और आत्मा को शुद्ध करता है।
कामाक्षी स्तोत्रम् Kamakshi Stotram
कामाक्षि मातर्नमस्ते। कामदानैकदक्षे स्थिते भक्तपक्षे। कामाक्षिमातर्नमस्ते।
कामारिकान्ते कुमारि। कालकालस्य भर्तुः करे दत्तहस्ते।
कामाय कामप्रदात्रि। कामकोटिस्थपूज्ये गिरं देहि मह्यम्। कामाक्षि मातर्नमस्ते।
श्रीचक्रमध्ये वसन्तीम्। भूतरक्षःपिशाचादिदुःखान् हरन्तीम्।
श्रीकामकोट्यां ज्वलन्तीम्। कामहीनैः सुगम्यां भजे देहि वाचम्। कामाक्षि मातर्नमस्ते।
इन्द्रादिमान्ये सुधन्ये। ब्रह्मविष्ण्वादिवन्द्ये गिरीन्द्रस्य कन्ये।
मान्यां न मन्ये त्वदन्याम्। मानिताङ्घ्रिं मुनीन्द्रैर्भजे मातरं त्वाम्। कामाक्षि मातर्नमस्ते।
सिंहाधिरूढे नमस्ते। साधुहृत्पद्मगूढे हताशेषमूढे।
रूढं हर त्वं गदं मे। कण्ठशब्दं दृढं देहि वाग्वादिनि त्वम्। कामाक्षि मातर्नमस्ते।
कल्याणदात्रीं जनित्रीम्। कञ्जपत्राभनेत्रां कलानादवक्त्राम्।
श्रीस्कन्दपुत्रां सुवक्त्राम्। सच्चरित्रां शिवां त्वां भजे देहि वाचम्। कामाक्षि मातर्नमस्ते।
श्रीशङ्करेन्द्रादिवन्द्याम्। शङ्करां साधुचित्ते वसन्तीं सुरूपाम्।
सद्भावनेत्रीं सुनेत्राम्। सर्वयज्ञस्वरूपां भजे देहि वाचम्। कामाक्षि मातर्नमस्ते।
भक्त्या कृतं स्तोत्ररत्नम्। ईप्सितानन्दरागेन देवीप्रसादात्।
नित्यं पठेद्भक्तिपूर्णम्। तस्य सर्वार्थसिद्धिर्भवेदेव नूनम्। कामाक्षि मातर्नमस्ते।
देवि कामाक्षि मातर्नमस्ते। देवि कामाक्षि मातर्नमस्ते।
कामाक्षी स्तोत्रम् का पाठ कैसे करें How to chant Kamakshi Stotram
- कामाक्षी स्तोत्रम् का पाठ सुबह के समय स्नान करके शुद्ध अवस्था में करना चाहिए।
- देवी कामाक्षी की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीप प्रज्वलित करें।
- शांत मन और श्रद्धा के साथ स्तोत्र का पाठ करें।
- पाठ के बाद देवी को फूल, नैवेद्य, और अगरबत्ती अर्पित करें।
कामाक्षी स्तोत्रम् और कांचीपुरम मंदिर का संबंध

कांचीपुरम में स्थित कामाक्षी अम्मन मंदिर शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र है। यह स्थान उन 51 शक्ति पीठों में से एक है, जहाँ देवी सती के शरीर का एक अंग गिरा था। ऐसा माना जाता है कि यहाँ स्तोत्र का पाठ करने से देवी शीघ्र प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं।
कामाक्षी स्तोत्रम् का पाठ करने की विशेष तिथियाँ
कामाक्षी स्तोत्रम् का पाठ नवरात्रि, पूर्णिमा, और विशेष रूप से शुक्रवार के दिन अधिक फलदायी माना जाता है। इन दिनों देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
कामाक्षी स्तोत्रम् केवल एक स्तुति मात्र नहीं, बल्कि भक्ति और आध्यात्मिक साधना का एक मार्ग है। यह स्तोत्र साधक को देवी के साथ आध्यात्मिक संबंध स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है। देवी की उपासना से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और साधक को परम शांति और आनंद की अनुभूति होती है।
कामाक्षी स्तोत्रम् पर पूछे जानें वाले प्रश्न FAQs for Kamakshi Stotram
कामाक्षी स्तोत्रम् क्या है?
कामाक्षी स्तोत्रम् एक पवित्र संस्कृत स्तोत्र है जो देवी कामाक्षी की स्तुति और उपासना के लिए लिखा गया है। यह स्तोत्र देवी को समर्पित भक्तों द्वारा उनके आशीर्वाद और कृपा प्राप्त करने के लिए पाठ किया जाता है। इसे आदिशंकराचार्य ने रचा है और यह भक्तों के लिए एक अद्भुत साधना का माध्यम है।
कामाक्षी स्तोत्रम् का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
कामाक्षी स्तोत्रम् का पाठ करने से मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा, और आत्मबल की प्राप्ति होती है। यह स्तोत्र भक्तों को जीवन की कठिनाइयों से उबरने में सहायता करता है और देवी की कृपा से सुख-समृद्धि प्रदान करता है। साथ ही, इसे नियमित रूप से पढ़ने से आध्यात्मिक उन्नति और ध्यान की शक्ति में वृद्धि होती है।
कामाक्षी स्तोत्रम् कब और कैसे पाठ करना चाहिए?
कामाक्षी स्तोत्रम् का पाठ सुबह के समय, स्नान के बाद, स्वच्छ मन और शरीर के साथ करना उत्तम माना जाता है। पाठ करते समय एकांत स्थान पर बैठकर देवी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाकर उनकी आराधना करें। शुद्ध उच्चारण के साथ श्रद्धा और विश्वास के साथ इसका पाठ करें।
कामाक्षी स्तोत्रम् का पाठ किसके लिए विशेष रूप से उपयुक्त है?
कामाक्षी स्तोत्रम् का पाठ हर व्यक्ति के लिए उपयुक्त है, लेकिन यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो मानसिक तनाव, पारिवारिक समस्याओं, आर्थिक कठिनाइयों, या आत्मविश्वास की कमी से जूझ रहे हैं। विद्यार्थी, गृहस्थ और साधक सभी इस स्तोत्र के माध्यम से देवी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
क्या कामाक्षी स्तोत्रम् का पाठ घर पर किया जा सकता है?
हाँ, कामाक्षी स्तोत्रम् का पाठ घर पर किया जा सकता है। यह आवश्यक नहीं है कि इसे मंदिर में ही किया जाए। घर में पवित्रता बनाए रखते हुए, देवी की मूर्ति या तस्वीर के सामने इसका पाठ किया जा सकता है। इसे करने के लिए किसी विशेष अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं होती है, केवल श्रद्धा और भक्ति पर्याप्त है।