अब तो कुछ भी नहीं सुहावै एक तु ही मन भावै है
Ab to Kuchh Bhee Nahin Suhaavai Ek Tu Hee Man Bhaavai Hai
( मारवाड़ी बोली )
अब तो कुछ भी नहीं सुहावै, एक तु ही मन भावै है ।
तनै मिलणनै आज मेरो हिवड़ो उझल्यौ आवै है ।
तड़फ रह्यो ज्यूँ मछली जळ बिन, अब लूँ क्यूँ तरसावै है । !
दरस दिखाणै मैं देरी कर क्यूँ अब और सतावै है ! ॥ १ ॥
पण, जो इसी बातमैं तेरो चित राजी होतो होवै ।
तौ कोई भी आँट नहीं, मनै चाहे जितणो दुख होवै ॥
तेरै सुखसैं सुखिया हूँ मैं, तेरे लिये प्राण मेरी खातर प्रियतम !
अपणे सेवै । सुखमैं मत काँटा बोवै ॥ २ ॥
पण या निश्चै समझ, तर्ने मिलणैकी ख. तर मेरा प्राण ।
छिन-छिन मैं व्याकुल होबै है, दरसणकी है भारी टाण ॥
बाँध तुड़ाकर भाग्या चावै, मानै नहीं किसीकी काण ।
आहूँ पहर उड्या सा डोलै, पलक-पलककी समझै हाण ।। ३ ।।
पण प्यारा ! तेरी राजी मैं है नित राजी मेरो मन ।
प्राणाधिक, दोनूँ लोकाँको यूँ ही मेरो जीवन-धन !!
नहीं मिलै तो तेरी मरजी, पण तन-मन तेरै अरपन ।
लोक-चेद है लूँ ही मेरो, यूँ ही मेरो परम रतन || ४ ||
चातककी ज्यूँ सदा उडीकूँ कदे नहीं मुँहनै मोड़ ।
दुख देवै, मारै, तड़फावै, तो भी नेह नहीं तोड़ ॥
तरसा-तरसाकर जी लेबै तो भी तनै नहीं छोड़ें ।
झाँकूँ नहीं दूसरी कानी तेरैमैं ही जी जोड़ें ॥ ५ ॥