मन सत संगति नित कीजै लीरिक्स
Man Sat Sangati Nit Keejai Lyrics
मन सत संगति नित कीजै ।
संत-मिलन त्रय-ताप नसावन, संतचरण चित दीजै ।।
संतन निकट नित्यप्रति जइये, हरि नामामृत पीजै ।
संतनि सकल भाँति नित सेइय, सब विधि मुदित करीजै ।।
संतन महँ बिस्वास करिय नित, श्रद्धा अतिसय कीजै ।
संतहिं नित हरिरूप निहारिय, संत कहें सोइ कीजै ।।
हरिको सकल मरम ते जानहिं, तिनसौं सब सुनि लीजै ।
सुनि-सुनि मनमहँ धारन कीजै, मन तासौं रँगि लीजै ।।
संत सुहृद जे पंथ बतावैं, तेहि पथ गमन करीजै ।
झटपट हरिके धाम पहुँचिये, प्रमुदित दरसन कीजै ।।