मिलनेको प्रियतमसे जिसके प्राण कर रहे हाहाकार
Milane ko Priyatama se Jisake Praan Kar Rahe Hahakaar
मिलनेको प्रियतमसे जिसके प्राण कर रहे हाहाकार ।
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गिनता नहीं मार्गकी कुछ भी दूरीको वह किसी प्रकार ।।
नहीं ताकता किंचित भी शत-शत बाधा-बिन्नोंकी ओर ।
दौड़ छूटता जहाँ बजाते मधुर वंशरी नंदकिशोर ॥
मिली हुई जो कभी भाग्यवश उसको हैं आँखें होतीं।
वही जानता कीमत, जो उस रूप-माधुरीकी होती ।।
कुछ भी कीमत हो, परंतु है रूपरसिक जन जो होता ।
दौड़ पहुँचता लेनेको तत्काल, नहीं पलभर खोता ।।