पतित नहीं जो होते जगमें कौन पतितपावन कहता लीरिक्स
Patit Nahin Jo Hote Jagamen Kaun Patitapaavan Lyrics
पतित नहीं जो होते जगमें, कौन पतितपावन कहता । अधमोंके अस्तित्व बिना अधमोद्धारण कैसे कहता ॥ १ ॥
होते नहीं पातकी, ‘पातकि-तारण’ तुमको कहता दीन हुए बिन, दीनदयालो ! कौन ? दीनबंधु फिर कहता कौन ॥ २ ॥
पतित, अधम, पापी, दीनोंको क्योंकर तुम बिसार सकते । जिनसे नाम कमाया तुमने, क्योंकर उन्हें टाल सकते ॥ ३ ॥
चारों गुण मुझमें पूरे, मैं तो विशेष अधिकारी हूँ। नाम बचानेका साधन हूँ। यों भी तो उपकारी हूँ ॥ ४ ॥
इतनेपर भी नाथ ! तुम्हें यदि मेरा स्मरण नहीं होगा। दोष क्षमा हो, इन नामोंका रक्षण फिर क्योंकर होगा ? ॥ ५ ॥
सुन प्रलापयुत पुकार, अब तो करिये नाथ ! शीघ्र उद्धार । नहीं, छोड़िये नामोंको, यों कहनेको होता लाचार ॥ ६ ॥
जिसके कोई नहीं, तुम्हीं उसके रक्षक कहलाते हो। मुझे नाथ अपनानेमें फिर क्यों इतना सकुचाते हो ? ॥ ७ ॥
नाम तुम्हारे चिर सार्थक हैं मेरा दृढ़ विश्वास यही । इसी हेतु, पावन कीजै प्रभु ! मुझे कहींसे आस नहीं ॥ ८॥
चरणोंको दृढ़ पकड़े हूँ, अब नहीं हहूँगा किसी तरह । भले, फेंक दो, नहीं सुहाता अगर पड़ा भी इसी तरह ॥ ९ ॥
पर यह रखना स्मरण नाथ ! जो यों दुतकारोगे हमको । अशरणशरण, अनाथनाथ, प्रभु कौन कहेगा फिर तुमको ॥१०॥