तजो रे मन झूठे सुखकी आसा
Tajo Re Man Jhoothe Sukhakee Aasa Lyrics
तजो रे मन झूठे सुखकी आसा ।
हरि-पद भजो, तजो सब ममता, छोड़ बिषय-अभिलासा ।
बिषयनमें सुख सपनेहुँ नाहीं केवल मात्र दुरासा ।।
कामिनि-सुत, पितु-मातु, बंधु, जस, कीरति, सकल सुपासा।
छिनमहूँ होत बियोग सबन्हते, कठिन काल जग नासा ।।
क्षणभंगुर सब विषय, निरंतर बनत कालके प्रासा ।
इनमें जो कोउ थिर सुख चाहत, सो नित मरत पियासा ।।
प्रभु-पद-पदम सदा अबिनासी, सेवत परम हुलासा ।
मिलै परम सुख, घटै न कंबहूँ, जिनके मन बिस्वासा ।।