भूल जगके विषयनकों जप मन हरिको नाम Bhool Jagake Vishayanakon Jap Man Hariko Naam

भूल जगके विषयनकों जप मन हरिको नाम

Bhool Jagake Vishayanakon Jap Man Hariko Naam

भूल जगके विषयनकों, जप मन हरिको नाम ॥

दीनबंधु हरि करुनासागर, पतितनके विश्राम ।

आपद-अंधकारमहँ श्रीहर्हार पूरनचंद्र ललाम ||

पाप-ताप सब मिटैं नामतें, नास होहिं सब काम ।

जमके दूत भयातुर भार्गे, सुनत नाम सुखधाम ।।

भाग्यवान जे जपत निरंतर नाम, सदा निष्काम ।

निरख सुखी सत्वर हों मूरति हरिकी जग-अभिराम ।।

भाग्यहीन जिन्हके मन-मुखमहँ बसत न हरिको नाम ।

नरकरूप जग जीवन तिन्हको भूमिभार अध-धाम ॥

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