छोड मन तू मेरा मेरा अंतमें कोई नहीं तेरा | Chhod Man Too Mera Mera Antamen Koee Nahin Tera

छोड मन तू मेरा मेरा अंतमें कोई नहीं तेरा

Chhod Man Too Mera Mera Antamen Koee Nahin Tera

( मारवाड़ी बोली )

छोड मन तू मेरा मेरा, अंतमें कोई नहीं तेरा ।।

धन कारण भटक्यो-फिरयो, रच्या नित नया ढंग ।

ढूंढ-ढूंढकर पाप कमाया, चली न कौडी संग ।

होय गया मालक बहुतेरा || छोड० ।।

टेढी बाँधी पागडी, बण्यो छबीलो छैल ।

धरतीपर गिणकर पग मेल्या, मौत निमाणी गैल ।

बखेरथा हाड-हाड तेरा || छोड० ||

नित साबुनरौं न्हाइयो, अतर-फुलेल लगाय ।

सजी-सजाई पूतली तेरी पडी मसाणाँ जाय ।

जलाकर करी भसम-देश || छोड० ||

मदमातो, करको रह्यो, राख्या राता नैन ।

आयानें आदर नहिं दीन्यो, मुख नहिं मीठा बैन ।

अंत जमदूत आय घेरा || छोड० ।।

पर-धन पर-नारी तकी, परचरचास्यूँ हेत ।

पाप-पोट माथेपर मेली, मूरख रह्यो अचेत ।

हुया फिर नरकॉमें डेरा || छोड० ।।

राम-नाम लीन्यो नहीं, सतसँगस्यूँ नहिं नेइ ।

जहर पियो, छोड्यो इमरतनै, अंत पड़ी मुख खेह ।

साँस सत्र बृथा गया तेरा || छोड० ||

दुरलभ देही खो दई, करम करथा बदकार ।

हूँ हूँ करतो ही मरयो लूँ गयो जमारो हार ।

पढ्यो फिर जनम-मरण फेरा || छोड० ।।

काम-क्रोध मद-लोभ तज, कर अंतरमें चेत ।

‘मैं’ ‘मेरे’ ने छोड हृदैसें कर श्रीहरिस्यूँ हेत ।

जनम यूँ सफल होय तेरा || छोड० ।।

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