जर्यात देव जयति देव जय दयालु देवा – Jaryaat Dev Jayati Dev Jay Dayaalu Deva

जर्यात देव जयति देव जय दयालु देवा लीरिक्स – Jaryaat Dev Jayati Dev Jay Dayaalu Deva

जर्यात देव, जयति देव, जय दयालु देवा ।

परम गुरु, परम पुज्य, परम देव, देवा ।।

सत्र विधि तव चरन सरन आइ परयो दासा ।

दीन, हीन, मति-मलीन, तर्दाप सरन-आमा ।।

पातक अपार किंतु दयाको भिखारी ।

दुखित जानि राखु मरन पाप-पुंज-हारी ।।

अवलोंके मकल दोष छमा करहु स्वामी ।

ऐसा कम, जाते पुनि हौं न कुपथगामी ।।

पात्र हौं, कुपात्र हों, भन्ने अनधिकारी ।

तदपि हीं तुम्हागे, अव लेहु मोहि उवारी ।।

लोग कहत तुम्हरो मच, मनहु कहत साई ।

कग्यि मत्य मंाइ नाथ भव-भ्रम सत्र स्वाई ।।

मारि और जनि निहारि देखिय निज तनहीं ।

हट करि मोहि गखिय हरि  संतत तन्य पनही ।।

कहीं कहा वारवार जानहु मय भेत्रा ।

जयति, जर्यात, जय दयालु, जय दयालु देवा ।।

Share This Article
कोई टिप्पणी नहीं

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

error: Content is protected !!
Exit mobile version