नाचत गौर प्रेम अधीर
Nachat Gaur Prem Adher
नाचत गौर प्रेम-अधीर ।
भूलि सुधि इरि-नाम टेरत, बहत नैननि नीर ।।
पान करि सुचि प्रेम-अमृत, मत्त पुर्लाकत अंग ।
भगत-गन नाचत सकल मिलि बजत ताल मृदंग ।।
परम पावन नामकी धुनि, गूँजती आकास ।
बिपुल अघ संसारके पल माहिं होत बिनास ।।