प्रभु बोले मुसुकाई जातें तोरि नाव रहि जावे
Prabhu Bole Musukaee Jaaten Tori Naav Rahi Jaave
प्रभु बोले मुसुकाई । जातें तोरि नाव रहि जावे, सोइ जतन करु भाई ।।
पाँव पखारु, लाइ गंगाजल, अब मत बिलॅब लगाई। सुनत बचन तेहि छिन सो दौरयो, मनमहँ अति हरखाई ।।
भरथौ कठौता गंगाजलसों, सब परिवार प्रभु-पद आइ पखारन लाग्यो, बुलाई । उर आनंद न समाई ।।
सुरन बिलोकि प्रेम-करुना अति, नभ दुंदुभी बजाई । केवट भाग्य सराहिं अमित बिधि, सुमन बृष्टि झरि लाई ।।
पद पखारि, सब लै चरनामृत,पुरुखन पार लघाई । सीता-लखन सहित रघुनंदन,हरषित नाव चलाई ।।